कैसे – कैसे लोग हमारा
जी
बहलायेंगे
कविता गीत के नाम पे
हमको शोर सुनायेंगे
व्यंग्य विनोद की आड़ लिए वे ऐसे आयेंगे
और विदूषक जैसा
अभिनय कर दिखलायेंगे
स को श और त्रि को
त्रू कहकर समझायेंगे
कलयुग में ये लोग ही
बड़े कवि कहलायेंगे
कविता होगी तीन मिनट
और भूमिका बारह की
ऐसे ही निज नाम के
आगे राष्ट्रकवि लिखवायेंगे
हाथ झटक कर पैर पटक
कर कुछ बतलायेंगे
और वीर को ओज बताकर
वे चिल्लायेंगे
संचालक तो नोक - झोंक में ही खप जायेंगे
कवयित्री के पल्लू
से कवि मारे जायेंगे
नेपाली, नीरज व्
सनेही यूँ बन पायेंगे
श्यामनारायण दिनकर को ये धूल चटायेंगे
लज्जित होंगे पन्त
निराला और सुभद्रा रोयेंगी
पर ये कविता के व्यापारी झूम के गायेंगे
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
२०/०८/२०२०