एक दिन आयेगा फिर से
मैं रोऊँगा
आँसुओं को मगर हँस
के मैं धोऊंगा
आज गा ना सका गला
रुँधने को है
एक दिन बिन कहे हँस
के मैं गाऊँगा
दुःख तो खुद आया है
खुशियाँ मैं लाऊँगा
लेके प्रतिभा को सुख
के मैं घर जाऊँगा
देखते ही मुझे सुख
भी खिल जाएगा
हर्ष को साथ में लेकर
के मैं आऊँगा
कहने वाले कहें निज
पे विश्वास है
ध्यान से देखिये सब
मेरे पास है
धैर्य है, धर्म है,
और दृढ़ता भी है
मुझको जग से नहीं
स्व से ही आस है
आज जिनका है ले लें
मगर कल मेरा
आज खट-पट है तो वक्त
ने है घेरा
ये तो जीवन है होता
रहा है सदा
कल मेरा होगा मेरा
लगेगा डेरा
सारे दुःख, सारे
संत्रास मंजूर हैं
सारे खुशियों के
लक्षण बहुत दूर हैं
मगर देखा है बादल को
घिरते हुए
ऐसे देखोगे तो पास
में नूर है
हूँ बहुत खुश भी
पीड़ा के घेरे में मैं
रोशनी आयेगी हूँ
अँधेरे में मैं
भोर के पास हूँ इसका
आभास हूँ
जग से जल्दी मिलूँगा
सवेरे में मैं
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
१२/०८/२०२०
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