यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 28 मार्च 2018

गुरूकुलम



जिस  शिक्षा  से संस्कार मिलता है
सदाचार,  आधार  जहां  मिलता  है
स्नेह परस्पर मिल-जुलकर बढ़ना आगे
गुरुकुल है वो धाम जहां पे सब मिलता है

राम, कृष्ण ,चाणक्य ,जहां निखरे हैं
परशुराम, पाणिनि, द्रोण  निकले हैं
साधारण भी श्रेष्ठ जहां बन जाते हैं
और नहीं वे गुरुकुल ही वे कहलाते हैं

जिस शिक्षा से भारत विश्व गुरु बन पाया
जन गण के मन में जो गौरव बोध कराया
सत्य, अहिंसा, प्रेम, ज्ञान का  नीर बहाया
शिक्षा  में वो  सर्वश्रेष्ठ गुरुकुल ही कहाया

अनगढ़ बालक को नरश्रेष्ठ बनाता है
कर्तव्यों , अधिकारों को समझाता है
रोजगार संग  शिष्टाचार सिखाता है
धन संग मानवता को भी बतलाता है

मात-पिता,गुरु,भ्राता संबंधी जन को
कैसे दें सम्मान  हमें  सिखलाता है
अपने  जीवन  में  इनके  होने का
सरल ,सहजता से महत्व समझाता है

जो शिक्षा को संस्कार बतलाता है 
सदाचरण को शिक्षा में अपनाता है
स्वालम्बी बन छात्र जहां मुस्काता है
विश्व में वो तो गुरूकुल ही कहलाता है


पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com
   

मंगलवार, 6 मार्च 2018

प्यास बुझी ना अपनों से











































प्यास बुझी ना दुनिया से तो लाचारी में यूं करता हूँ 
ऐसे में खुद ही खुद  को मैं , थोड़ा - थोड़ा पीता हूँ

जिन्दगी ख़ूब हुई है जबसे,नज़र भी लगती खूब है
इसी लिये टुकड़ों  में इसको थोड़ा – थोड़ा जीता हूँ

दुनियाँ की नज़रों में आकर कुछ भी करना मुश्किल है
दिल की जो चुपचाप मैं करता जग को लगता रीता हूँ

सब पीते हैं कम या ज्यादा कुछ ना कुछ तो पीते हैं
अपनी तुम्हें बताऊँ क्या मैं , मैं तो गम को पीता हूँ

उम्र निकल गयी आगे मुझसे , मैं पीछे नौजवां रहा
दिल की सुना,किया दिलदारी इसीलिये कम बीता हूँ  

नहीं किया अपमान किसी का,ना सम्मान कभी माँगा
ऐसे  में  टूटे  रिश्ते के नख़रे  कभी  नहीं  सीता हूँ


पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com