यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 15 अप्रैल 2024

हमारे राष्ट्रीय प्रतीक


 

 

 


राजू  बोले  मुन्ना  भइया

भारत की पहचान है क्या

मुन्ना बोले  सुन लो राजू

भारत माँ की शान है क्या

 

तीन रंग  से रंगा तिरंगा

भारत  की   पहचान  है

चक्र सुशोभित मध्य में उसके

समय  का  देता ज्ञान है

 

राजू  बोले   मुन्ना  भइया

भारत के प्रतीक क्या-क्या हैं

जिसे गर्व से सब मिल गाएं

उन्हें बताओ वो क्या-क्या हैं

 

मुन्ना बोले  सुन  लो राजू

भारत का प्रिय गान है क्या

भारत का प्रिय गीत बताऊँ

उसकी  अपनी आन है क्या

 

एक ही स्वर में गाता भारत

जन  गण  मन वह गान है

गीत जिसे  सुन झूमें भारत

वन्दे   मातरम   तान   है

 

नृत्य करे  जो सबसे सुंदर

जो गिरधर के भाल पे भाये

ऐसा  मोहक  मोर  हमारा

राष्ट्रीय   पक्षी   कहलाए

 

राष्ट्र पुष्प है कमल हमारा

जो देवों  को  सबसे प्यारा

जिसमें गति,लय,शक्ति अपरमित

वह राष्ट्रीय पशु बाघ हमारा

 

फलों का राजा आम कहाता

वही  हमारा राष्ट्रीय फल है

वृक्षों  में  विशाल बरगद ही

राष्ट्रीय वृक्ष गर्व पल पल है

 

राजू  बोले   मुन्ना  भैया

पता  आप को इतना कैसे

कौन बताता आपको यह सब

याद भी  रहता इतना कैसे

 

मुन्ना बोले  राजू  बाबू

भोर में उठकर पढ़ता हूँ

नहीं समझ पाता हूँ जो भी

दादा  जी  से  पढ़ता हूँ

 

दादा जी कहते हैं मुन्ना

ध्यान लगाकर पढ़ा करो

रटने भर से बात न बनती

सोच-सोच  कर पढ़ा करो


राजू तुम भी करोगे ऐसा

या द रहेगा  मेरे  जैसा

कैसे याद है रहता इतना

प्रश्न  नहीं  पूछोगे ऐसा 

 

पवन तिवारी

०८/०४/२०२४

 

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