सुबह-सुबह की धूप
निराली
बदन को देती पोषक भारी
आओ सब मिल धूप सेंक लें
सबका हित है कर लें यारी
आओ सुबह सुबह हम टहलें
शीतल मंद हवा संग बह लें
शुद्ध हवा भी देती पोषण
ऐसे वातावरण में रह लें
सुबह में दौड़ लगाओ
भाई
बदन को मिलती फुर्ती भाई
खेल - कूद भी बड़े जरूरी
स्वास्थ्य को देते शक्ति भाई
सुबह-सुबह का दृश्य मनोहर
प्रकृति हो गाती जैसे सोहर
जल्दी सोना भोर में उठना
अच्छे जीवन की है मोहर
पवन तिवारी
०५/०४/२०२४
बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंसुन्दर
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