यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

सुबह-सुबह की धूप निराली

सुबह-सुबह की धूप निराली

बदन को  देती  पोषक भारी

आओ सब मिल धूप सेंक लें

सबका  हित  है कर लें यारी

 

आओ सुबह सुबह हम टहलें

शीतल  मंद  हवा संग बह लें

शुद्ध  हवा  भी  देती  पोषण

ऐसे   वातावरण   में  रह  लें

 

सुबह में दौड़  लगाओ भाई

बदन को मिलती फुर्ती भाई

खेल - कूद  भी बड़े जरूरी

स्वास्थ्य को देते शक्ति भाई

 

सुबह-सुबह का दृश्य मनोहर

प्रकृति  हो  गाती  जैसे सोहर

जल्दी  सोना  भोर  में उठना

अच्छे   जीवन  की  है  मोहर

 

पवन तिवारी

०५/०४/२०२४

4 टिप्‍पणियां: