यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 29 मई 2020

जान जाके भी नहीं जाती है


जान  जाके भी नहीं जाती है
देख  तस्वीर  लौट  आती है
बहुत से हुस्न  इधर  देखे हैं
बात तुझसी मगर न आती है

सोचता   हूँ  तुझे  भुला  दूँगा
सोचूँ फिर किसको मैं वफा दूँगा
वफ़ा की भी तो बड़ी किल्लत है
तुझमे ही खुद को मैं मिला लूंगा

तेरा जाना भी  कोई  जाना है
लगता है कल का ही बहाना है
खाके नखरे  गयी है  गुस्से में
खोजता  हूँ  तुझे  मनाना  है

खुद से मैं रोज झूठ  कहता हूँ
तेरी  यादों  में  रोज बहता हूँ
जाने दिल तू कभी  न आयेगी
फिर भी तुझको बसाए रहता है

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८       

बुरे समय में प्रेम


अच्छे समय में अधिक लोग करते हैं तुम्हें प्रेम !
यह झूठ है सफेद से भी ज्यादा क्योंकि
जितना था मुझे अनुमान वे सारे अनुमान,
ध्वस्त कर दिए मेरे बुरे समय ने।
बुरे समय ने मुझे दिखाया और
उससे भी अधिक जताया ;
जिन्हें मैं अपनी स्मृति पर जोर देकर भी
नहीं पहचान पाया या
मुझे जो नहीं रहे याद, वो भी आये मेरे पास!
जताया अपना प्रेम और मेरे सर पर स्नेह से
स्पर्श हुए आशीष के हजारों हाथ !
मुझे नहीं पता था मुझ में ऐसा भी है विशेष
हां,यदा कदा सोचता अकेले में
मेरे आलोचक बहुत हैं, निंदक और विरोधी भी
किंतु बुरे समय ने,मुझे दुख के समय में
दे दी सुख से हजार गुना खुशी! क्योंकि
मुझे पता चल गया है;
मुझे प्रेम करने वाले अनगिनत हैं ।
अब मैं अपने रास्ते पर और गति से
निश्चिंत होकर, शब्दों के प्रेम में पलता हुआ
कविता के घर जा सकूंगा
निष्कंटक!


पवन तिवारी
सम्वाद -7718080978

रविवार, 24 मई 2020

हे गरीब


हे गरीब ! तुम गरीब रहो.
हम तुम्हें दिखाएँगे
सुंदर मोहक स्वप्न
गरीबी में ही सपने देखने का
मिलता है वास्तविक सुख
जिन्हें देखकर मचल जाओगे
उन्हें पाने के लिए आओगे
हमारे पास बार-बार, हर बार
गरीबों के लिए सपना एक लत है, नशा
परन्तु असलियत में हम तुम्हें देंगे
सड़कें नहीं, पगडंडियाँ ! वो भी इतनी घुमावदार
कि तुम पहुंच ही नहीं पाओगे
अपने स्वप्न के नगर !
हम तुम्हें सुविधाओं के ना पर देंगे
लम्बे-लम्बे क़ानून, जिसके शिकंजे में
फँसकर तुम ठीक से रो भी नहीं पाओगे
गरीब तुम गरीब रहो !
तुम्हारी गरीबी से ही हमारी शान है
जब तक तुम गरीब हो
तभी तक हुक्मरान हैं हम
हम किसे अपमानित करें ?
किसे दिखाएँगे अपनी शेखी ?
अपना खीझ किस पर उतारेंगे ?
हमारे घरों के जूठे बर्तन कौन साफ़ करेगा ?
हमारे कुत्तों की देखभाल कौन करेगा ?
हमारी गाड़ियाँ कौन साफ़ करेगा ?
हम किसे देंगे गालियाँ और
कौन सहेगा हमारी बिना मतलब की धौंस ?
हमें कौन करेगा बार बार सलाम ?
हमारे लिए कौन गलायेगा अपनी हड्डियाँ ?
तुम्हारे पसीने की कमाई पर
हम कैसे उड़ेंगे जहाजों में ?
घूमेंगे मँहगी गाड़ियों में और
कैसे रहेंगे महलों में ?
इसलिए तुम्हारा गरीब रहना जरुरी है
वरना बिगड़ जाएगा सत्ता का संतुलन
सारे गरीब यदि हो गये अमीर तो
उद्योगों से लेकर खेतों
खदानों से लेकर पहाड़ों तक
कौन बहायेगा पसीना ?
इसलिए प्रकृति के संतुलन के लिए
हे गरीब ! तुम सदा गरीब रहो.


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com


सर्वश्रेष्ठ प्रेम


लोगों से सुना है
आप ने भी सुना होगा
बस एक चीज है जो
बांटने से बढ़ती है ‘विद्या’
परन्तु यह ही सही नहीं है
प्रेम भी बाँटने से बढ़ता है
कई बार ऐसा होता है कि
प्रेम छूट जाता है
कभी छोड़ जाता है, कभी तो
सदा के लिए आधे रास्ते से
हो जाता है विदा !
प्रेम में इसके सिवा छल या
धोखा भी मिलता है
यह सारे आप को
देते हैं अनंत दुःख !
उस दुःख है जन्मता है संहार
क्योंकि, प्रेम में होती है अनंत शक्ति
उस शक्ति को थोड़ा – थोड़ा
बाँटते चलो तो वह संहार के बदले
करती जायेगी निर्माण
तुम जिसे चाहते थे
देना अनंत प्रेम
उस अनंत प्रेम को
अनंत लोगों में साझा कर दो
वे लोग लौटायेंगे इतना प्रेम
जितना तुम्हारा प्रेम सौ जन्मों तक
नहीं लौटा सकता
तुम्हारे प्रेम का दुःख अब
करुणा,स्नेह और आत्मीयता के रूप में
यत्र तत्र सर्वत्र फैलकर
न केवल तुम्हें सुगन्धित करेगा
बल्कि सुगन्धित करेगा पूरी मनुष्यता को
इसलिए प्रेम कभी अधूरा नहीं होता
बल्कि होता है सदा से पूरा
जो तुम किसी एक को
देना चाहते हो पूरा का पूरा
किन्तु यदि कभी लोगों में
बाँटने का अवसर आये तो
पीछे मत हटना क्योंकि
बाँटना ही प्रेम का
सर्वश्रेष्ठ रूप होता है.
तो बाँटते चलना ..


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
  

रविवार, 17 मई 2020

काल


सारी शेखियाँ बिखर गयी.
सारी शोखियाँ गुम गयी.
खोज रहे ज़िंदगी को
जाने किधर गयी.
अपने चले गये.
पराये चले गये
हम इधर उधर के चक्कर में
न इधर गए न उधर
क्या करें ? क्या कहें ?
कहता भी हूँ तो,
कोई बूझता नहीं है.
एक काल है जो सब बूझता है.
उसको सब सूझता भी है.
किन्तु कहता कुछ नहीं
बस चुपचाप है.
उसके काले अधरों पर जो
अकेली मुस्कान ठहरी है.
वह कहती है-
पहचानों निज को
हल तुम्हीं में है.


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

साथ


किसी का साथ होना
बेहद महत्वपूर्ण होता है
आप के लिए हानिकारक, दुखदाई
सुखदाई या अवलम्ब होता है.
अक्सर साथ होना
भरोसा देता है ज़िन्दगी का,
साथ होना भय मुक्त करना भी होता है.
हाँ, कभी - कभी साथ
हानि भी पहुंचाता है.
साथ कभी-कभार दुःख भी पहुंचाता है.
किन्तु साथ का सबसे अप्रत्याशित
रूप तब दिखाई देता है, जब आप
किसी के साथ होने के कारण
मरने लगते हैं,
तिल-तिल प्रतिदिन और
आप को होता है ज्ञात,
थोड़ा - थोड़ा मरने का और
दुनिया उस साथ को सराहती है, तब आप
और तेजी से मरने लगते हैं.
आप आह भी नहीं कर पाते;
ऐसा साथ सबसे महत्वपूर्ण
और वीभत्स होता है !
यह अलग बात है कि
साथ को ज्यादातर सुखद और
सकारात्मक रूप में देखा जाता है .

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com    



  

शुक्रवार, 15 मई 2020

चुपचाप और अप्रत्याशित


जीवन में जाने कितना कुछ
चुपचाप और अप्रत्याशित
आता है, छा जाता है.
जीवन के बंद द्वार कितने
कुछ समय में ही है दिखलाता ;
कुछ बनी बनाई राहों को
चुटकी में ध्वस्त कर जाता है.
हमसे ही कुछ नई-नई वह
पगडंडी बनवाता है.
कुछ नयी खिड़कियाँ खुलवाता,
कुछ दीवारें तुड़वाता है.
कुछ इधर उधर करवाने में
जीवन ज्यादा ले जाता है.
चुपचाप और अप्रत्याशित से
डिगना न ज़रा भी घबराना ;
इनसे मिलना सम्मान सहित
पर अपना भी आदर रखना !
फिर जीवन खर्च तभी होगा,
जब जितना जैसे चाहोगे.
खुशियाँ दुःख जो भी आयेगा,
तुम सहज उसे अपनाओगे.



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
 

अकेलापन


अकेलेपन के पास बहुत कुछ होता है.
वह हमेशा देता रहता है
पता नहीं कौन क्या स्वीकार है ?
अकेलापन देता है शान्ति !
नये विचार भी देता है.
देता है नव चिंतन
बहुत सी छूट गयी स्मृतियाँ
उदासियों का गुच्छा भी देता है
कई बार देता है अवसाद के झुरमुट
हाँ, उसके पास होता है, कई बार
देने के लिए चिड़चिड़ापन
उसके पास सुकून का एक
बड़ा गुल्लक भी होता है.
क्या मैं आप से पूछ सकता हूँ
आप ने अकेलेपन से क्या लिया है ?


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८