यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 1 मई 2024

नये - नये दो आकर्षण में



नये - नये दो  आकर्षण में

भावनाओं के अति घर्षण में

सब की  सब  मर्यादा टूटी

सारी   सामाजिकता   रूठी

 

अवसरवादी  भावनाओं  ने

उच्छश्रृंखल  कामनाओं  ने

कोमलता को ठोकर  मारी

जीती   बाज़ी  जैसे  हारी

 

धूर्त तत्त्व जो  आसपास के

लगे जुटाने  तत्त्व नाश के

इक चिंगारी काम कर गयी

जीने वाली  चाह  मर गयी

 

ऐसे  ध्वंस  बहुत  होते हैं

बिन  अनुभव  वाले रोते हैं

दुःख के  बोझे  भी ढोते है

जीवन को प्रतिदिन खोते हैं

 

धीरज बुद्धि साथ में रखना

फिर चाहे जैसे  फल चखना

जो भी  होगा  तर  आओगे

हँसते - हँसते  कर  पाओगे

 

पवन तिवारी

०१ / ०५/ २०२४          

 

   

7 टिप्‍पणियां:

  1. विद्रूपताओं से आहत मन की गहन अभिव्यक्ति।
    सादर।
    ------
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ३ मई २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. अद्भुत प्रस्तुति...👌👌👌

    जवाब देंहटाएं