यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 30 सितंबर 2017

भयल बियाह आइगै मेहरी, - अवधी गीत


बाग़-बगइचा,मेला-ठेला,गुल्ली-डंडा,खूब खेला 
भयल बियाह आइगै मेहरी,कुल भुलायगै रेलम-पेला

बाप के पइसा से खइली रसगुल्ला,चाट,समोसौ भी
अपनी कमाई नून-तेल, घर खरचै में रेलम-रेला

गाल पिचकिगै अँखियों धंसिगै,अठ्ठइसै में गए बुढाय
बियाह-बियाह चिल्लात रहला,भयल बियाह त अब झेला

घर गिरहस्ती मेहरी पालब, सबके बसिकै बाति है नाय
गिरहस्ती कै तिकड़म है ई तूँ का समझा खोमचा-ठेला

मुँह डोलाइब अउर घर चलाइब दोनहुन में है बहुतै अंतर
तुहीं नाय सबकै इहै हालि है जे गिरहस्त सब रेलम रेला 

मेहरी लड़िका वाले जेतना,सबकै हालि समानै है
का पछिताये होई अब ,जब सब झेलत है तूंहूँ झेला

जमि के आपन कर्म करा सब निक्कै होई
सच होई सपना तोहार सब, कहत हई सझौंती बेला

पवन तिवारी 
सम्पर्क- 7718080978
poetpawan50@gmail.com

सोमवार, 25 सितंबर 2017

होत भिनसहरा -अवधी गीत


























होत भिनसहरा बटोरैल्या दुआर तूँ
गोबर उठाई के फिर करैल्या सिंगार तूँ 
फिरू जाल्या फरूहा लईके आरि छाटै खेते तूँ
लउटि के जौ आवैल्या त दतुइन करैल्या तूँ

एक्को मिनट कै तूंहै फुरसत न हउवै
हमरो उमिरिया सइयाँ घिसत जाति हउवै
हमरो से मिलि के सइयाँ दुई गाल बाति करा
हई मेहरारू तोहार यहू कै खयाल करा

जेतना पसीना सइयाँ खेते में बहावैल्या
ओकर न आधों प्यार हमसे जतावैल्या
हमरो उमिरिया कै माँगि हउवै सइयाँ
अइसे बिलगा जिन पकड़ा जोर से ई बइयाँ

अकेले घरा में सइयाँ जाली उबियाई
तोहरे बिना ना सइयाँ अकेले सुहाई
कहता त साथ चलित खेतवा में हमहूँ
हाथ बंटायित सइयां,बाति करित हमहूँ

संग-संग काम होई,बढ़ी भी सनेहिया
सीखब खेती-बारी संग रहबा जौ पिया
और कौनो ललसा नाहीं काटी देब उमिरिया
बनल रहै आपस में ई नेहिया कै डोरिया


पवन तिवारी
सम्पर्क – ७७१८०८०९७८

poetpawan50@gmail.com

शनिवार, 23 सितंबर 2017

वक्त बिन वक़्त का घाव भरता नहीं

वक्त बिन वक़्त का घाव भरता नहीं
कितना भी तुम सिलो ज़ख्म सिलता नहीं

वक्त विपरीत गर श्रम फलित ही न हो
काम होकर भी परिणाम मिलता नहीं

काल हो गर बुरा बेवज़ह रोग हो
वैद्य खोजे बहुत रोग मिलता नहीं

वक़्त की मार तो होती ऐसी भी है
सामने होके भी हमको दिखता नहीं

एक तीली में जो दीप जल जाता था
अब कई तीलियों से भी जलता नहीं

फोन के बजने से था परेशां बहुत
दिन में इक बार "पवन” बजता नहीं

पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978

poetpawan50@gmail.com

गुरुवार, 21 सितंबर 2017

था जो दुश्मन मेरा,मेरा प्यार हो गया



था जो दुश्मन मेरा,मेरा प्यार हो गया

मोजज़ा हो गया , इक़रार हो गया

जो कभी देखना चाहता था नहीं
वो ही मिलने को अब बेकरार हो गया

प्यार के नाम पर जो बिदक जाता था
कल पड़ोसन के संग वो फरार हो गया

वो जो पहली नज़र का चला तीर तो
सीधे दिल में लगा आर-पार हो गया

प्यार में एक पल सब्र होता नहीं
इक घड़ी एक युग इंतजार हो गया

कैसी-कैसी तसल्ली ये है प्यार में
सुन के आवाज़ तेरी क़रार हो गया


जो पड़े प्यार में वो ही जाने इसे
प्यार में तो ‘पवन’ इश्तिहार हो गया

पवन तिवारी
सम्पर्क – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com
  

  

रविवार, 17 सितंबर 2017

भाग्य ना साथ दे कर्म फलता नहीं











भाग्य ना साथ दे कर्म फलता नहीं
होते - होते भी वो काम होता नहीं

कितनें कर लें जतन हो सिफारिश भले
आख़िरी वक़्त में काम होता नहीं

वादा करके भी वादे मुकर जाते हैं
वादे वालों को खुद याद होता नहीं

हो बुरा वक़्त तो ना सिफारिश चले
हो किसी की धमक काम होता नहीं

आप को लगता है अब तो हो जाएगा
तभी आती ख़बर मुझसे होता नहीं

ऐसे में तब लगे अपना कोई नहीं
सच बुरे दौर में कोई होता नही


ऐसे में फैसले वक़्त पर छोड़ दें
वक़्त से पहले तो कुछ भी होता नहीं

देखना जिंदगी, जिंदगी होगी फिर
फिर न उलझन फिकर कुछ भी होता नहीं

पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com   


सोमवार, 4 सितंबर 2017

जब दुर्बल भाग्य रहे









जब दुर्बल भाग्य रहे 
तब यत्न न काम करे 
सब तरफ से ना ही ना 
कोई भूल के हाँ न कहे

बनती उम्मीदें टूटें
हाथों से हाथ छूटें
कुछ समझ में ये ना 
बिन बात के अपने रूठे 

जिसके भी द्वार जाएँ
उसे रोता हुआ ही पायें 
अपना कुछ कहने से पहले
दुःख अपना सुना वो जाए

कोशिश, तिकड़म सारे असफल 
उम्मीदों के बिखरे सब फल 
हो विवश रखें माथे पे हाथ 
नयनों से छलकता केवल जल

ऐसे में धर्म,धैर्य का बल 
करतब न करे फिर कोई छल 
तब त्राहिमाम प्रभु शरण गहें
फिर वही उबारें नभ,जल,थल 

पवन तिवारी 
सम्पर्क -7718080978
poetpawan50@gmail.com