होत भिनसहरा बटोरैल्या दुआर तूँ
गोबर उठाई के फिर करैल्या सिंगार तूँ
गोबर उठाई के फिर करैल्या सिंगार तूँ
फिरू जाल्या फरूहा लईके
आरि छाटै खेते तूँ
लउटि के जौ आवैल्या
त दतुइन करैल्या तूँ
एक्को मिनट कै तूंहै
फुरसत न हउवै
हमरो उमिरिया सइयाँ घिसत
जाति हउवै
हमरो से मिलि के
सइयाँ दुई गाल बाति करा
हई मेहरारू तोहार
यहू कै खयाल करा
जेतना पसीना सइयाँ
खेते में बहावैल्या
ओकर न आधों प्यार
हमसे जतावैल्या
हमरो उमिरिया कै
माँगि हउवै सइयाँ
अइसे बिलगा जिन पकड़ा
जोर से ई बइयाँ
अकेले घरा में सइयाँ
जाली उबियाई
तोहरे बिना ना सइयाँ
अकेले सुहाई
कहता त साथ चलित
खेतवा में हमहूँ
हाथ बंटायित
सइयां,बाति करित हमहूँ
संग-संग काम होई,बढ़ी
भी सनेहिया
सीखब खेती-बारी संग
रहबा जौ पिया
और कौनो ललसा नाहीं
काटी देब उमिरिया
बनल रहै आपस में ई
नेहिया कै डोरिया
पवन तिवारी
सम्पर्क – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com
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