यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 25 सितंबर 2017

होत भिनसहरा -अवधी गीत


























होत भिनसहरा बटोरैल्या दुआर तूँ
गोबर उठाई के फिर करैल्या सिंगार तूँ 
फिरू जाल्या फरूहा लईके आरि छाटै खेते तूँ
लउटि के जौ आवैल्या त दतुइन करैल्या तूँ

एक्को मिनट कै तूंहै फुरसत न हउवै
हमरो उमिरिया सइयाँ घिसत जाति हउवै
हमरो से मिलि के सइयाँ दुई गाल बाति करा
हई मेहरारू तोहार यहू कै खयाल करा

जेतना पसीना सइयाँ खेते में बहावैल्या
ओकर न आधों प्यार हमसे जतावैल्या
हमरो उमिरिया कै माँगि हउवै सइयाँ
अइसे बिलगा जिन पकड़ा जोर से ई बइयाँ

अकेले घरा में सइयाँ जाली उबियाई
तोहरे बिना ना सइयाँ अकेले सुहाई
कहता त साथ चलित खेतवा में हमहूँ
हाथ बंटायित सइयां,बाति करित हमहूँ

संग-संग काम होई,बढ़ी भी सनेहिया
सीखब खेती-बारी संग रहबा जौ पिया
और कौनो ललसा नाहीं काटी देब उमिरिया
बनल रहै आपस में ई नेहिया कै डोरिया


पवन तिवारी
सम्पर्क – ७७१८०८०९७८

poetpawan50@gmail.com

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