यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 30 दिसंबर 2018

शहर भी मेरा प्यारा है



शहर भी मेरा प्यारा है
गांव ही नहीं दुलारा है

जो भी गांव का मारा है
उसको शहर दुलारा है

रुखा - भूखा गांव से आया
शहर ने ही रोटी दिलवाया

प्रतिभा का अपमान किया
नहीं समुचित स्थान दिया

ना ही अच्छी शिक्षा दी
ना रोजगार की भिक्षा दी
  
प्रेम किसान जो करते थे
दिल से तुम पर मरते थे

उनको भी है मार दिया
जीवन से ही तार दिया

सपनों को मिट्टी से दबाया
गांव-गांव कहकर फुसलाया

युवा गाँव का बदल गया
शहर में आकर संभल गया

लोगों को भड़काते हो
कहकर शहर डराते हो  

कुछ हैं छद्म तुम्हारे चेले
उनके भी हैं शहर में ठेले

शहर को वे गरियाते हैं
गाँव का गुण वे गाते हैं

गाँव बड़ा ही प्यारा है
गाँव शहर से न्यारा है

शहर में रहते खाते हैं
झोला भर के कमाते हैं

गाँव को भी खिलाते हैं
फिर भी हमें गरियाते हैं

बेरोजगार गाँव से आते
ढेरों बीमार वहाँ से आते

उच्च पढ़ाई करने ख़ातिर
अभियंता बनने की खातिर

गांव नहीं दे पाता है
शहर में आ कर पाता है

गांव में देखे थे जो सपने
शहर ने उन्हें बनाए अपने

खुशियों का भंडार दिया है
मांगा एक हज़ार दिया है

दोनों एक दूसरे के पूरक
क्यों लड़ते हो बन कर मूरख

शहर ने भी तो प्यार दिया
अर्थ, मान व दुलार दिया

शहर गांव हैं भाई - भाई
दोनों की है एक ही माई

दोनों का अपना औरा है
दोनों का अपना चौरा है

कोई नहीं लड़ाई है
शहर गांव का भाई है

गांव की अब मजबूरी है
माई कर ली दूरी है

माई को समझाना है
गांव को गांव बनाना है

शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सब
गांव में लेकर आना है.

शहर को ना गरियाना है
उसका भी गुण गाना है

शहर में रहकर गाँव जो गाते
बैठ – बैठ कर कवित्त बनाते

अब सपनों में सुंदर गाँव
गाँव में जाकर देखो गाँव

आशाओं का संग छूटेगा
सपनों का भी भ्रम टूटेगा


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८

अणु डाक poetpawan50@gmai.com






शनिवार, 29 दिसंबर 2018

यह नया वर्ष जो आया है


यह नया वर्ष जो आया है
आशाएं लेकर आया है

लाया कितनी इच्छाएँ हैं
कितनी ही योजनाएं हैं

नवजीवन सा संचार नया
सब खुश हैं आया साल नया

गुजरे को सारे भूल गए
कभी नया था वो भी भूल गए

एक बिछड़ा तो एक नया मिला
कुछ गिला मिला कुछ सिला मिला

उसने अनुभव का थाल दिया
यह आशाओं का माल दिया

उसने भी दिया यह भी देगा
यदि देगा तो कुछ भी लेगा

अनुभव देकर वो उम्र लिया
बातों - बातों में साल दिया

ये भी आया तो जाएगा
कुछ खोयेगा कुछ पाएगा

दोनों की अपनी किस्मत है
दोनों की अपनी अस्मत है

कौन मिटेगा कौन बनेगा
कौन गिरेगा कौन उठेगा

ये साल बता ना पाएगा
किस्मत के हिस्से जाएगा

कुछ सीखा था कुछ सीखेंगे
उम्मीद की बगिया सींचेंगे

जो लुटा पिटा खोया पाया
जैसा जो भी रोया गाया

उस वर्ष का भी था अभिनंदन

इस वर्ष का भी है अभिनंदन


जो भी आया उसे जाना है
वह बीत गया इसे जाना है

इक साल दिया इक साल लिया
जीवन को नया सवाल दिया

उस सवाल के उत्तर खातिर
आकर फिर इक  साल दिया

इस नए साल का स्वागत है
प्रति क्षण क्षण यह भी भागत है


जो सिखा गए उनका कृतज्ञ

जो आएंगे  अभिनंदन है

सबसे कुछ - कुछ सीखा पाया
उन सबका शत - शत वंदन है


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक- poetpawan50@gmail.com