प्रेम पाते हैं तो हम संवरते प्रिये
रूठता प्रेम तो हम बिखरते प्रिये
होता पुलकित ये मन
प्रेम आभास से
प्रेम करते हो तो हम
निखरते प्रिये
सोचता हूँ कभी वंदना है प्रिये
कभी लगता है कि प्रार्थना है प्रिये
नभ से विस्तृत पयोधि
से गहरा लगे
प्रेम लगता है प्रभु
अर्चना है प्रिये
प्रेम से तुलसी भी राम पाए प्रिये
ध्रुव थे बालक मगर
धाम पाए प्रिये
कलयुग में असम्भव भी संभव हुआ
मीरा के प्रेम में
श्याम आये प्रिये
प्रेम पावन परम सीदा
– सादा प्रिये
जीवन आधार ये है न
बाधा प्रिये
प्रभु से पहले तभी प्रेमी पूजे गये
कृष्ण प्रभु हैं मगर
पहले राधा प्रिये
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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