अपने सबसे अधिक पराये
अपने अपनों से घबराए
सबसे ज्यादा भय
अपनों से
पहले अपने पैर फिराए
दुनिया को दुश्मन
माने हम
अपने घर में ही
ज्यादा गम
टांग खींचते रिश्ते वाले
बाहर वाले सबसे कम
अपनी धुन में सदा ही
रहना
सबकी सुनना अपनी करना
खुद ही खुद को रच सकते
हो
सच पे रहना गलत न
करना
मायावी आये जायेंगे
बहुत कमाल दिखा
जायेंगे
पर सब फकत मदारी
होंगे
सच बिन राह नहीं पायेंगे
साल में सावन भी आता
है
आकर के वसंत जाता है
बुरा जो झेल रहा है
उसका
अच्छा आगे दिन आता है
पवन तिवारी
संवाद - ७७१८०८०९७८
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