यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 20 अप्रैल 2019

अपने सबसे अधिक पराये


अपने सबसे अधिक  पराये
अपने  अपनों  से  घबराए
सबसे ज्यादा भय अपनों से
पहले  अपने   पैर  फिराए

दुनिया को दुश्मन माने हम
अपने घर में ही ज्यादा गम
टांग  खींचते   रिश्ते  वाले
बाहर   वाले   सबसे  कम

अपनी धुन में सदा ही रहना
सबकी  सुनना अपनी करना
खुद ही खुद को रच सकते हो
सच पे रहना गलत न करना

मायावी    आये   जायेंगे
बहुत कमाल दिखा जायेंगे
पर सब फकत मदारी होंगे
सच बिन राह नहीं  पायेंगे

साल में सावन भी आता है
आकर  के वसंत  जाता है
बुरा जो झेल रहा है उसका
अच्छा  आगे दिन आता है

पवन तिवारी
संवाद -  ७७१८०८०९७८




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