घबराने
से विचलन होगी
निज
पथ से भी भटकन होगी
जिन
दुःख ने हैं साहस तोड़े
आओ
उनकी बाँह मरोड़ें
दुःख
कितना भी दाब बनाये
धमकी
का वह मज़ा चखाए
तुम
केवल बस हँस भर देना
उतने
से उसे सिरहन होगी
ऐसे
वैसे लोग मिलेंगे
स्वारथ
वाले रोग मिलेंगे
अपनी
रीढ़ को सीधी रखना
झुककर
मत स्वारथ को चखना
बस
आनन कठोर कर लेना
इतने
से उसे अड़चन होगी
कलियुग
में हर जगह कालिमा
बचकर
रहना तुम हो लालिमा
तुम्हें
मिटाने जतन करेगी
जब
तक तुम हो सदा डरेगी
बस
तुम समुचित दूरी रखना
इतने
से उसे तड़पन होगी
सारा
जगत तुम्हें देखेगा
तुम्हरे
साहस से सीखेगा
अक्षर-2
तुम सच रचना
नीचे
निज हस्ताक्षर करना
काल
भाल पर अंकित होगे
देख
तुम्हें उसे ठिठुरन होगी
घबराने
से विचलन होगी
निज
पथ से भी भटकन होगी
पवन
तिवारी
३०/०८/२०२५
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