दुःख इतना कि कहा नहीं जाता
इतना दर्द सहा
नहीं जाता
ऐसे में अवलम्ब न कोई
जय हनुमान यही मुख
आता
तुलसी के पथ आप प्रदर्शक
नीम करोली के सब दर्शक
देव देवियाँ
जाने
कितने
आप ही भटकों
के दिग्दर्शक
एक आप कलयुग
के स्वामी
दीन दयाल हो अन्तर्यामी
सिद्धि सफलता के प्रभु दाता
भय खाते कपटी,
खल, कामी
मारुती नंदन हे बजरंगी
निर्बल निर्धन के
प्रभु संगी
कृपा आप की सब दुःख हर ले
नमो नमो हनुमत बजरंगी
पवन तिवारी
३०/०४/२०२४
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