जान जाके भी नहीं जाती है
देख तस्वीर लौट
आती है
बहुत से हुस्न इधर देखे हैं
बात तुझसी मगर न आती
है
सोचता हूँ
तुझे भुला दूँगा
सोचूँ फिर किसको मैं
वफा दूँगा
वफ़ा की भी तो बड़ी
किल्लत है
तुझमे ही खुद को मैं
मिला लूंगा
तेरा जाना भी कोई
जाना है
लगता है कल का ही
बहाना है
खाके नखरे गयी है
गुस्से में
खोजता हूँ
तुझे मनाना है
खुद से मैं रोज
झूठ कहता हूँ
तेरी यादों
में रोज बहता हूँ
जाने दिल तू
कभी न आयेगी
फिर भी तुझको बसाए
रहता है
पवन तिवारी
संवाद –
७७१८०८०९७८
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