तुझको चाहा था तुझको
चाहूँगा
पर कोई वादा न
निभाऊंगा
प्यार होकर भी
रहेंगे झगड़े
तेरी तरह तुझे
तड़पाऊंगा
प्यार कब बार - बार होता है
दिल तो बस एक बार
खोता है
खोते जो बार-बार दिल
अपना
उनमें बस काम-काम होता है
तेरी चर्चा करूंगा कोसूँगा
तेरे धोखे को जम के भोगूँगा
दर्द कविता में लिखके
तुझपे मैं
खुद को मरने से सदा रोकूँग
रो के भी तू रो न पायेगी
होगी रुसवा जहाँ भी जायेगी
तेरे धोखे का फल
मिलेगा तुझे
अपने दुःख हँसते हुए गायेगी
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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