यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 17 मई 2020

साथ


किसी का साथ होना
बेहद महत्वपूर्ण होता है
आप के लिए हानिकारक, दुखदाई
सुखदाई या अवलम्ब होता है.
अक्सर साथ होना
भरोसा देता है ज़िन्दगी का,
साथ होना भय मुक्त करना भी होता है.
हाँ, कभी - कभी साथ
हानि भी पहुंचाता है.
साथ कभी-कभार दुःख भी पहुंचाता है.
किन्तु साथ का सबसे अप्रत्याशित
रूप तब दिखाई देता है, जब आप
किसी के साथ होने के कारण
मरने लगते हैं,
तिल-तिल प्रतिदिन और
आप को होता है ज्ञात,
थोड़ा - थोड़ा मरने का और
दुनिया उस साथ को सराहती है, तब आप
और तेजी से मरने लगते हैं.
आप आह भी नहीं कर पाते;
ऐसा साथ सबसे महत्वपूर्ण
और वीभत्स होता है !
यह अलग बात है कि
साथ को ज्यादातर सुखद और
सकारात्मक रूप में देखा जाता है .

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com    



  

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