यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 27 जुलाई 2021

झूठ को सबका साथ मिला है

झूठ को सबका साथ मिला है

सच पीछे चुपचाप खड़ा है

सच बोले तो हैं सब बहरे

और झूठ बेफिक्र पड़ा है

 

झूठ को ही सब सच कहते हैं

उसकी धारा सब बहते हैं

सच के साथ अकेला सच है

सच के लोग दबे रहते हैं

 

सारी सुविधा झूठ उठाता

खुद बड़ा महान बताता

नाटक के सब रंग हैं उसमें

तड़क भड़क के साथ है आता

 

सत्य पराजित सा होता है

कभी-कभी छुप-छुप रोता है

झूठ से कलयुग की है मित्रता

झूठ ही सब खेती बोता है  

 

फसलें ज्यादा झूठ की होती

दुनिया उसका बोझा ढोती

झूठ का पैंट सभी पहने हैं

कहीं न दिखती सच को धोती

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८ 

१२/०८/२०२०

 

 

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