कोई हँसता अकस्मात रो सकता है
लोग बाहर की दुनिया में खोते बहुत
कोई अन्दर की दुनिया में खो सकता है
यूँ अचानक बहुत कुछ बदल जाता है
अपने उर से खिलौना निकल जाता है
दिल परेशान होकर सिसकता भी है
जिस पर विश्वास हो वो ही छल जाता है
हर परिस्थिति में जीवन को स्वीकार लो
हार के, हार को, हँस के स्वीकार लो
तब कहीं जिंदगी तुमको अपनाएगी
त्रास या हर्ष हो सहज स्वीकार लो
ऐसे में लुट के भी तुम निखर जाओगे
शून्य में तारों जैसा बिखर जाओगे
जग तुम्हें गायेगा तुमको पूजेगा भी
छलियों के दिल में भी तुम उतर जाओगे
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
१६/०८/२०२०
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