आदमी से सम्वाद करना
विशेष नहीं है
मनुष्य बनने के लिए!
आदमी से सम्वाद करने
से
श्रेष्ठ विकल्प है,
उनसे सम्वाद करना-
जिनका सम्वाद मौन या
संकेत में होता है.
आदमी से अधिक सम्वाद
नदियों, वृक्षों,
पक्षियों, पशुओं,
पैरों तले दबाने
वाली दूब,
सर के ऊपर लेटी
छप्पर या छत
पास में सीधी खड़ी
दीवारों,
उठते बैठते चरमराती
चारपाई,
कराहती,सिसकती
ध्वनियों,
उड़ती तितलियों और
पिंजरे में बंद
लोगों की
सम्वेदनाओं से
सम्वाद आवश्यक है!
और हाँ, कभी मेड़,
कीचड़
भिनभिनाती मक्खियों,
कच्ची पगडण्डियों
उड़ती धूलों और
हेय दृष्टि से फेंक
दिए गये कचरे एवं
घूर पर पड़े गोबर से
भी सम्वाद करना !
साथ ही मिलना घूर पर
उग आये
चाँद की तरह अमोले
सहित
सितारे की तरह
टिमटिमाते, प्यारे
दूसरे अनेक
वनस्पतियों और
अनजाने पौधों से!
जो स्वयं की
जिजीविषा और
प्रयास मात्र से घूर
के ऊपर
अपना अस्तित्व
निर्माण कर सके .
बिना की सहायता के!
उनसे कर सको तो,
करना सम्वाद !
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
१४/०८/२०२०
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