यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 29 जुलाई 2021

वो गये यों

वो गये यों, यों भी कोई जाता है

बेवफ़ाई करके भी धमकाता है

मानकर मैं भाग्य सब कुछ झेल लूँगा

किन्तु यों यादें कोई भड़काता है

 

प्रेम में ही खतरे सबसे ज्यादा हैं

पूरे होकर भी हम आधा आधा हैं

एक की  गलती को  भोगे दूसरा

ऐसे  में एक  दूसरे  को बाधा हैं

 

प्रेम में दुःख सब दुखों पर भारी है

प्रे म की  तलवार  भी दो धारी है

दोनों  छोरो  से  बनी निष्ठा रही

फिर तो चलना प्रेम की शुभ पारी है

 

प्रेम में विश्वास का ना ध्वंस हो

हो समर्पण पूरा ना कि अंश हो

इनमें से कुछ भी डिगा या टूटा तो

प्रेम फिर खुद ही कहे कि विध्वंस हो

 

प्रेम में यदि हो सके पड़ना नहीं

पड़ गये तो प्रेम से डरना नहीं

कैसे भी हालात हों निज को बचा

प्रेम खुद से ज्यादा तुम करना नहीं

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८  

 

      

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