घिर
- घिर आये घन रह - रह नाचे मन
मन में
उमंग भरे हौले हौले चले पवन
बिजुरी
से चमके तन हिया डोले वन- ३
रोम
– रोम भीगे महके ज्यों उपवन
कृषक
हुआ है मगन चूड़ी खनके खन खन
रह - रह कर होती
वर्ष बड़ी सघन
घन
भी बड़ा मगन लचक लचक जाये तन
सोंधी
गंध उठे खेत करे सन - सन
भीगा
भीगा प्रेम सदन अंदर उठे अगन
बूंद
पड़े ज्यों - ज्यों सजने लगें सपन
हर्षित
हुआ मदन धड़कन सनन सनन
बरस
- बरस बोले घन ये घनन - घनन
पवन
तिवारी
१७/०७/२०२१