गारी लोक गीत ( अवधी / विवाह गीत )
दुलहा साले बेना, कूलर, पंखा लेबा हो,
ऊसर, परती बोला- कै ठे मंडा लेबा हो,
अपने दीदी ख़ातिर बड़का वाला घंटा लेबा हो !
सोना लेबा, हीरा लेबा, लेबा हीरो हंडा,
कै ठे डंडा लेबा हो,
अपने बहिनी ख़ातिर लम्बा वाला झंडा लेबा हो !
खीर खाबा, पिज्जा खाबा,
खाबा बड़का बंडा, कै ठे ठंडा लेबा हो,
अपने फूआ खातिर केतना लवंडा लेबा हो !
कार लेबा, चेन लेबा,
लेबा बड़का हंडा, कै ठे कंडा लेबा हो,
अपने मामी खातिर गंगा जी के पंडा लेबा हो !
पवन तिवारी
२३/०६/२०२४
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