यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 10 अप्रैल 2017

हे जग जननी , हे जगधात्री.

















हे जग जननी , हे जगधात्री.
सुरसरि उर कर दो ,सच,साहस,बल दो.


वीणावादिनी,वाग्देवी शुभ्र सुमति मति दो.
जग कल्याण लिखूं हे माता, तुम ऐसा वर दो.


तुलसी,सूर,निराला,दिनकर,सा तन मन कर दो.
विमला,वागेश्वरी हे माता, प्रज्ञा का वर दो.


ब्राह्मी,वाचा,वीणाधारिणी,सरस्वती,गिरी,भारती.
नाम अनंत तुम्हारे माता,राष्ट्र प्रेम भर दो.


तुम्ही विधात्री,तुम्ही हो भाषा,तुम्ही इला,वागीश.
स्नेह,त्याग और सत्यशील का ज्योंतिर्मय वर दो.


गीता,वेद,पुराण तुम्ही हो,तमस,कोप हर लो .
राष्ट्र चरण में सब करू अर्पण,तुम ऐसा वर दो.


हे जग जननी , हे जगधात्री

poetpawan50@gmail.com सम्पर्क - 7718080978






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