यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 31 मई 2022

घिर - घिर आये घन

घिर - घिर आये घन रह - रह नाचे मन

मन में उमंग  भरे  हौले हौले चले पवन

बिजुरी से चमके तन हिया डोले वन- ३

रोम – रोम  भीगे  महके  ज्यों  उपवन

 

कृषक हुआ है मगन चूड़ी खनके खन खन

रह  -  रह  कर  होती  वर्ष  बड़ी  सघन

घन भी बड़ा मगन लचक लचक जाये तन

सोंधी  गंध  उठे   खेत   करे  सन  -  सन  

 

भीगा भीगा प्रेम  सदन अंदर उठे अगन

बूंद  पड़े  ज्यों - ज्यों  सजने  लगें सपन

हर्षित  हुआ मदन धड़कन  सनन सनन

बरस - बरस बोले घन ये घनन - घनन

 

पवन तिवारी

१७/०७/२०२१

 

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