आज
सिमटता जाता ज़िन्दगी का डेरा है
जिस
सड़क से बचते थे अब वहीँ बसेरा है
कुछ
अंधेरों को हमने खुद ही पाल रखा है
सोच
में उजाला रख हर
तरफ सवेरा है
सारी
बेईमानी की माया
छूट जायेगी
ये फरेब जीवन
का तेरा मेरा फेरा है
कल
किसी हक़ इसका मिल जायेगा देखना
हाय
– हाय करके ये तुमने जितना घेरा है
तुझसे
पहले कईयों ने तेरा मेरा खेला था
तेरा
भी ये ना
होगा आज ये जो तेरा है
पवन
तिवारी
१५/०७/२०२१
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