यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 8 जून 2025

सबसे मीठा रस बातों का



सबसे   मीठा  रस  बातों का

सबसे पावन जल आखों का

चंदा  दिख  जाता दिन में भी

पर  मन  को  भाता रातों का

 

हिय  ही  काया का केंद्र बिंदु

इसमें  ही  बसता  प्रेम सिन्धु

इन सबको जो पूरित करता

औषधि अधिपति वह मात्र इंदु

 

हैं सबसे  बड़े जनक अचरज

सबसे  पावन है प्रभु की रज

पर   पीड़ा  ही  है  पाप  बड़ा

पावन है  सबसे मस्तक गज

 

जग में जो  भी  हैं  सब विशेष

वह भी  विशेष  जो दिखे शेष

है शेष   ने   ही   धरती   धारी

जय जय रमेश जय जय महेश

 

पवन तिवारी

०८/०६/२०२५     

 

 


2 टिप्‍पणियां: