सबसे मीठा रस बातों का
सबसे
पावन जल आखों का
चंदा दिख जाता दिन में भी
पर मन को भाता रातों का
हिय ही काया का केंद्र बिंदु
इसमें ही बसता प्रेम सिन्धु
इन
सबको जो पूरित करता
औषधि
अधिपति वह मात्र इंदु
हैं
सबसे बड़े जनक अचरज
सबसे
पावन है प्रभु की रज
पर पीड़ा ही
है पाप बड़ा
पावन
है सबसे मस्तक गज
जग
में जो भी हैं सब विशेष
वह
भी विशेष जो दिखे शेष
है
शेष ने ही धरती धारी
जय
जय रमेश जय जय महेश
पवन
तिवारी
०८/०६/२०२५
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रियंका जी
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