यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 12 मई 2025

हद से ज्यादा जब अशांति बढ़ जाती है



हद से ज्यादा जब अशांति बढ़ जाती है

बिना युद्ध के शांति नहीं तब आती है

शान्ति सभी मोती माणिक से महँगी है

कितनों का  जीवन  वैभव खा जाती है

 

किसकी भी हो विजय पराजय हो किसकी

कम ज्यादा पर हानि सभी की होती है

पिता पुत्र को पत्नी पति को मांयें संतति खोती हैं

जिनके अपने घर उजड़े हैं उनकी क्या गति होती है

 

इसीलिये अशांति से पहले संवादों से हल कर लें

नहीं सुझाई हल देता तो समझौतों का मन कर लें

वरना अंत मलाल तो होगा  हारेंगे  या जीतेंगे

थोड़ी तेरी थोड़ी मेरी मिलकर कुछ ऐसा कर लें   

 

वरना युद्ध तो बलि लेता है, रक्त को जल सा पीता है

धर्म ध्यान तब काम न आता युद्ध स्वयं तब गीता है

जब तक शांति तभी तक सीता जनक नंदिनी है

युद्ध हुआ तो सीता ना तब काली सीता है

 

पवन तिवारी

१२ /०५/२५


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