यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 12 अप्रैल 2019

ईर्ष्या, डाह, जलन, स्पर्धा

ईर्ष्या, डाह, जलन,  स्पर्धा
सहज स्वभाव मनुज का है
विपति विशाद में भ्राता के संग
सहज ही धर्म अनुज का है

धन से  धर्म धर्म से जीवन
स्वास्थ्य ही सर्वोत्तम धन है
सकल   मनोरथ  पूरे  होते
प्रभु में लगा  सहज  मन है

रूप, कुरूप  कोई  भी होवे
प्रेम सभी की अभिलाषा है
दुःख का मूल अपेक्षा होती
अपनों से  सबको आशा है

धर्म धर्म मिथ्या चिल्लाते
सदाचरण ही  परिभाषा है
जिन्हें नहीं विश्वास है जग में
वहीं  पनपती  निराशा है



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

तुम जितनी दीवानी हो


तुम  जितनी  दीवानी  हो
तुम उतनी ही  शिवानी हो
प्रिये हो शक्ति स्वरूपा तुम
तुम  ही  देवी  भवानी हो


प्रेम तुम्ही हो शक्ति तुम्ही हो
अन्तस् की अनुरक्ति तुम्ही हो
तुम  हो  राधा  तुम  ही दुर्गा
तप करुणा व भक्ति तुम्ही हो


तुम भगिनी हो तुम जननी हो
भार्या  लक्ष्मी  गृह  भरनी हो
प्रेम  भी  हो पूजा भी तुम हो
कष्ट विशाद की तुम हननी हो


इसीलिये  तो  तुम  पावन हो
प्रति अंतस की चिर सावन हो
हर  अभिलाषा  की तुम पूरक
अक्षय  प्रेम  की  उपवन  हो



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

दुश्मन तो जरा सी बात पर


दुश्मन तो जरा सी बात पर ऐंठ जाता
यूँ  खाली  हाथ अँधेरे में न घर जाता

उसे तो बस लब  की भाषा आती थी
मेरी खामोशियाँ सुनता तो थक जाता

वो  मुझसे रूठ के चुपचाप ही जाता रहा
मेरी धड़कनों को समझता तो रुक जाता

इस क़दर  शिकायतों की बौछार न करता
वो मेरी आँखों की भाषा गर समझ जाता

वो  जो  उसके  जनाजे  में भी न गया
उसकी  कुर्बानियाँ सुनता तो मर  जाता

वो जो उसकी बात को मस्अला समझती है
बस सलीके से कहती तो हल निकल जाता

वे  क्या  लौटते सारी खुशियाँ लौट जाती
और  एक  उनके आने से घर ऊब जाता

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

गुरुवार, 11 अप्रैल 2019

कि तुममें ही सारा जहाँ देखता हूँ


तुम्हें  देखता हूँ तो क्या देखता हूँ
कि तुममें ही सारा जहाँ देखता हूँ

लगी प्रेम की कुछ लगन इस तरह से
तुम्हारे सिवा  फिर  कहाँ  देखता हूँ

मुझे कोई भी अब तो भाता नहीं है
जहाँ  होती तुम बस वहाँ देखता हूँ

पहले पहल तुमको देखा जहाँ था
अब  भी वहाँ खामखाँ देखता हूँ

तुम्हारी मोहब्बत में आलम है ऐसा
जहाँ - तहाँ दिल में यहाँ देखता हूँ



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८

कौन कहता तू बस दीवाना है


कौन कहता तू बस दीवाना है
पूरा  का  पूरा  ही  मस्ताना है

कौन कहता है तेरा वक्त नहीं
अभी  तो  उम्र  का  जमाना है

जलेगा तू  ही  कैसे तय होगा
शमा   है   तू  कि  परवाना  है

प्रेम  चेहरे  पे  उतर  आता  है
और  कहता है तू अंजाना है

“ऐसा कुछ भी नहीं” धीमे कहना
प्रेम   है   पर   नहीं    जताना    है

प्रेम  पे झूठ नहीं छिपता पवन
शर्म  का    रंग  तो  पहचाना  है



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

बुधवार, 10 अप्रैल 2019

तेरे वादे पे दिल


तेरे  वादे  पे दिल  मेरा  यार आ गया
सच कहूं देखा तुझको तो प्यार आ गया

“मैं हूँ ना” इतना जो तुमने हँस के कहा
सुनते  ही  मेरे दिल को करार आ गया

देखा तुझको  जो  यूँ खुल के हँसते हुए
तेरी  जुल्फें  संवारूँ  दुलार  आ  गया

तुमने  शरमा  के पूछा मोहब्बत है जो
लब  पे  बेसाख्ता  इक़रार  आ  गया

इस  उमर  में हसीना  जो हँस भर भी दे
पवन लगता है दिल में कि ज्वार आ गया



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८

सोमवार, 8 अप्रैल 2019

मेरे मन का सूरज


आज सूरज से मिला मेरे मन का सूरज
उससे मिल के और भी हुआ खूबसूरत
आज खुद में देखा एक सुंदर नगर
उसमें मेरी एक पावन सी है मूरत


मैं था बाहर आज जो अंदर गया
सच बताऊँ अपने सच्चे घर गया
सारे साधन हर्ष के उपलब्ध हैं
जो भी था संत्रास सारा मर गया


योग ने मुझको मिलाया ध्यान से
मुक्त उसने कर दिया अज्ञान से
अपनी आभा से मिला ऐसा लगा
निज से मिल लिया क्या मिलें विज्ञान से


जानना निज को तो अंदर से जगो
बाहरी नाटक से निज को ना ठगो
निज को जानोगे तो जग को जान लोगे
सत्य के लिए सत्य के पथ पर लगो


पवन तिवारी
सम्वाद- 7718080978


राष्ट्र का चिंतन राष्ट्र का वंदन


राष्ट्र का चिंतन राष्ट्र का वंदन राष्ट्र का है शत शत अभिनंदन
राष्ट्र रहेगा तो हम होंगे राष्ट्र तो है मस्तक का चंदन
जो खुद को आगे रखकर के राष्ट्र को पीठ दिखाएं हैं
ऐसे स्वार्थी नीचों के कारण दुश्मन चढ़ आये हैं


मुट्ठी  भर  गद्दारों  ने इतिहास  कलंकित  कर डाला
मुट्ठी  भर  शत्रुओं ने आकर भारत में भय भर डाला
नवभारत  के नए सपूतों  आओ  नव इतिहास लिखें
बैरी  की छाती पर चढ़कर शोणित से नई बात लिखें


वीर  शिवाजी  राणा  झांसी से मिलकर सम्वाद करो
शस्त्र शास्त्र के साथ दुश्मनों का डटकर प्रतिवाद करो
नए काल  में नयी नीति से दुश्मन पर तुम वार करो
राम  नहीं अब  कृष्ण नीति से दुश्मन पर प्रहार करो


यूँ दृष्टांत  करो प्रस्तुत कि काँपे दुश्मन थर थर थर
दृष्टि पड़े तुम पर तो फिर सरपट भागें सर सर सर
गीत भी  गाओ तो उसमें शिव तांडव जैसा भाव रहे
मस्तक खुद ऊँचा हो जाये भारत का सदा प्रभाव रहे


पहले न किसी पर वार करो जो प्रथम मिलो तो प्यार करो
सच  का  सम्मान  सदा  रखना  झूठे पर वज्र प्रहार करो
तुम  जहां  भी जाओ भारत हो रग रग में भारत गान रहे
जब तक शशि उदगण हैं नभ में जय अपना हिंदुस्तान रहे


पवन तिवारी
संवाद ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2019

राम नाम सबसे पावन है























राम  नाम  सबसे  पावन है
रूप  मनोहर मन  भावन है
राम नाम ले तुलसी तर गये
राम  नाम  ऋतु  सावन है

राम  दुलारे  हनुमत  प्यारे
सब सुख  केवल राम दुआरे
राम की महिमा राम ही जाने
दीन  दुखी  के  राम सहारे

राम की महिमा राम सी कर गयी
राम  चरण  से अहिल्या तर गयी
शबरी  राम  के  नेह  को  पाकर
राम  कृपा  से  राम  के घर गयी

राम  तो  मन  के  चन्दन  हैं
दशरथ   के   प्रिय   नंदन  हैं
मर्यादा   जग  को   सिखलाये
रघुनंदन   को  शत  वन्दन है

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com