तुम जितनी दीवानी हो
तुम उतनी ही शिवानी
हो
प्रिये हो शक्ति
स्वरूपा तुम
तुम ही देवी भवानी
हो
प्रेम तुम्ही हो
शक्ति तुम्ही हो
अन्तस् की अनुरक्ति
तुम्ही हो
तुम हो राधा तुम ही
दुर्गा
तप करुणा व भक्ति
तुम्ही हो
तुम भगिनी हो तुम
जननी हो
भार्या लक्ष्मी गृह भरनी हो
प्रेम भी हो पूजा भी
तुम हो
कष्ट विशाद की तुम
हननी हो
इसीलिये तो तुम पावन
हो
प्रति अंतस की चिर
सावन हो
हर अभिलाषा की तुम
पूरक
अक्षय प्रेम की उपवन हो
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
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