यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 12 अप्रैल 2019

दुश्मन तो जरा सी बात पर


दुश्मन तो जरा सी बात पर ऐंठ जाता
यूँ  खाली  हाथ अँधेरे में न घर जाता

उसे तो बस लब  की भाषा आती थी
मेरी खामोशियाँ सुनता तो थक जाता

वो  मुझसे रूठ के चुपचाप ही जाता रहा
मेरी धड़कनों को समझता तो रुक जाता

इस क़दर  शिकायतों की बौछार न करता
वो मेरी आँखों की भाषा गर समझ जाता

वो  जो  उसके  जनाजे  में भी न गया
उसकी  कुर्बानियाँ सुनता तो मर  जाता

वो जो उसकी बात को मस्अला समझती है
बस सलीके से कहती तो हल निकल जाता

वे  क्या  लौटते सारी खुशियाँ लौट जाती
और  एक  उनके आने से घर ऊब जाता

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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