यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 11 अप्रैल 2019

कि तुममें ही सारा जहाँ देखता हूँ


तुम्हें  देखता हूँ तो क्या देखता हूँ
कि तुममें ही सारा जहाँ देखता हूँ

लगी प्रेम की कुछ लगन इस तरह से
तुम्हारे सिवा  फिर  कहाँ  देखता हूँ

मुझे कोई भी अब तो भाता नहीं है
जहाँ  होती तुम बस वहाँ देखता हूँ

पहले पहल तुमको देखा जहाँ था
अब  भी वहाँ खामखाँ देखता हूँ

तुम्हारी मोहब्बत में आलम है ऐसा
जहाँ - तहाँ दिल में यहाँ देखता हूँ



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८

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