तुम्हें देखता हूँ तो क्या देखता हूँ
कि तुममें ही सारा जहाँ देखता हूँ
लगी प्रेम की कुछ लगन
इस तरह से
तुम्हारे सिवा फिर कहाँ
देखता हूँ
मुझे कोई भी अब तो
भाता नहीं है
जहाँ होती तुम बस वहाँ देखता हूँ
पहले पहल तुमको देखा
जहाँ था
अब भी वहाँ खामखाँ देखता हूँ
तुम्हारी मोहब्बत में
आलम है ऐसा
जहाँ - तहाँ दिल में
यहाँ देखता हूँ
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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