राष्ट्र का चिंतन राष्ट्र का वंदन
राष्ट्र का है शत शत अभिनंदन
राष्ट्र रहेगा तो हम होंगे राष्ट्र
तो है मस्तक का चंदन
जो खुद को आगे रखकर के राष्ट्र को
पीठ दिखाएं हैं
ऐसे स्वार्थी नीचों के कारण दुश्मन
चढ़ आये हैं
मुट्ठी भर गद्दारों ने इतिहास कलंकित कर डाला
मुट्ठी भर शत्रुओं ने आकर भारत में
भय भर डाला
नवभारत के नए सपूतों आओ नव इतिहास
लिखें
बैरी की छाती पर चढ़कर शोणित से नई
बात लिखें
वीर शिवाजी राणा झांसी से मिलकर
सम्वाद करो
शस्त्र शास्त्र के साथ दुश्मनों का
डटकर प्रतिवाद करो
नए काल में नयी नीति से दुश्मन पर
तुम वार करो
राम नहीं अब कृष्ण नीति से दुश्मन
पर प्रहार करो
यूँ दृष्टांत करो प्रस्तुत कि काँपे दुश्मन थर थर थर
दृष्टि पड़े तुम पर तो फिर सरपट
भागें सर सर सर
गीत भी गाओ तो उसमें शिव तांडव जैसा
भाव रहे
मस्तक खुद ऊँचा हो जाये भारत का सदा
प्रभाव रहे
पहले न किसी पर वार करो जो प्रथम
मिलो तो प्यार करो
सच का सम्मान सदा रखना झूठे पर वज्र
प्रहार करो
तुम जहां भी जाओ भारत हो रग रग में
भारत गान रहे
जब तक शशि उदगण हैं नभ में जय अपना
हिंदुस्तान रहे
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक –
poetpawan50@gmail.com
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