आज सूरज से मिला मेरे मन का सूरज
उससे मिल के और भी हुआ खूबसूरत
आज खुद में देखा एक सुंदर नगर
उसमें मेरी एक पावन सी है मूरत
मैं था बाहर आज जो अंदर गया
सच बताऊँ अपने सच्चे घर गया
सारे साधन हर्ष के उपलब्ध हैं
जो भी था संत्रास सारा मर गया
योग ने मुझको मिलाया ध्यान से
मुक्त उसने कर दिया अज्ञान से
अपनी आभा से मिला ऐसा लगा
निज से मिल लिया क्या मिलें विज्ञान से
जानना निज को तो अंदर से जगो
बाहरी नाटक से निज को ना ठगो
निज को जानोगे तो जग को जान लोगे
सत्य के लिए सत्य के पथ पर लगो
पवन तिवारी
सम्वाद- 7718080978
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