उसने ख़ुशबू कहा चंदा कहा गुलाब कहा
फिर भी मैं चुप रहा
तो उसने लाजवाब कहा
मैं ज़रा ख़ुश हुआ तो
प्यार का वरक बोला
उसने रोका मुझे और
इश्क की क़िताब कहा
जब भी मिलता था
कसीदे उसी के पढ़ता था
कल वो नाराज
था बेसाख्ता ख़राब कहा
आज उसकी अदा ने बोल
दिया वो भी मिली
मुझको देखा कि
मुझे देखते ज़नाब कहा
ये बहुत खुश था जिसे रोज चाँद कहता था
आज धीरे से
उसने इसको आफ़ताब कहा
पवन तिवारी
संवाद – ८/०४/२०२१