तुम चाहते हो गैरों का सदमा बना रहे
अपना भी बुरा होगा हौसला बना रहे
तेरी दुश्मनी ने
मुझको रखा सजग सदा
प्रभु से है
प्रार्थना कि सलामत बना रहे
धोखे ने मुझको
ज़िंदगी जीना सिखा दिया
थोड़ा सा ज़िंदगी में भी धोखा बना
रहे
संघर्ष सफलता
का है मूल्य
बताता
थोड़ा सा
मुश्किलों से वास्ता
बना रहे
अपनों से प्यार
होना बिलकुल है मुनासिब
गैरों से
भी थोड़ा सा
राबता बना रहे
हँसना भी एक हद
तक अच्छा
लगे पवन
रोने का भी मज़ा
है ज़रा सा
बना रहे
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
७/१०/२०२०
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें