यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 23 अक्तूबर 2021

अच्छे लोगों की यादें

अच्छे लोगों की यादें भी थाती होती हैं

उनकी बातें प्रेरक दीपक बाती होती हैं

स्वाभाविक लेखक जो लिखते हिय से लिखते हैं

उनकी लेखनी पढ़ो तो जैसे पाती होती है

 

लोग यहीं रहते हैं केवल देह चली जाती है

कर्मों के आधार पे उनकी कीर्ति छली जाती है

मरने के ही बाद व्यक्ति का मूल्याँकन होता है

विस्मृत करता है जग या फिर याद पली जाती है

 

जीते जी इतिहास पुरुष बन जाना दुर्लभ होता है

जितना पाता है उतना ही जाते - जाते खोता है

भौतिक सारा मिट जाता है एक कीर्ति जो टिकती है

बिना स्वार्थ के जग में किसको कौन कहाँ तक ढोता है

 

याद से बोना, जो भी बोना, जो बोता वो पाता है

वैसा ही बनता मन उसका जैसा अन्न जो खाता है

चरित बचाना, चरित बढ़ाना, अपने सद्कर्मों पर है

बहुतों की निंदा होती है, कम को ही जग गाता है

 

( प्रिय मित्र स्व.राधाकृष्ण चतुर्वेदी ‘अबोध’ जी को याद करते हुए)

पवन तिवारी

संवाद- ७७१८०८०९७८

०३/१०/२०२०          

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें