यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 24 अक्तूबर 2021

उसने ख़ुशबू कहा

उसने ख़ुशबू  कहा  चंदा कहा  गुलाब कहा

फिर भी मैं चुप रहा तो उसने लाजवाब कहा

 

मैं ज़रा ख़ुश हुआ तो प्यार का वरक बोला

उसने रोका मुझे और इश्क की क़िताब कहा

 

जब भी मिलता था कसीदे उसी के पढ़ता था

कल  वो  नाराज था बेसाख्ता  ख़राब  कहा

 

आज उसकी अदा ने बोल दिया वो भी मिली

मुझको  देखा  कि मुझे  देखते  ज़नाब कहा

 

ये बहुत खुश  था जिसे  रोज चाँद कहता था

आज  धीरे  से उसने  इसको  आफ़ताब कहा

 

पवन तिवारी

संवाद – ८/०४/२०२१  

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