यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 21 जुलाई 2022

अपनी संस्कृति अपनी भाषा


अपनी  संस्कृति  अपनी  भाषा  पर  यदि  गर्व करोगे  तुम

राष्ट्र  के  खाली  स्वर्ण  कलश  को  समृद्धि  से  भरोगे तुम

विस्मित मत करना इतिहास को बलिदानों को देना मान

सुनों  युवाओं  संग  सब  मिलकर राष्ट्र का त्रास हरोगे तुम

 

अपने बड़ों को यदि पूजोगे अपनी कला का हो सम्मान

अपनी चिकित्सा पद्धति में है छुपा हुआ खोजो विज्ञान

अपने गौरव को आगे  ला  सार्वजनिक होगा यदि गान

मानना क्या है आँखों  देखी  सत्य  जगत जाएगा जान

 

खोया आदर पुनः मिलेगा  भारत  का  होगा  उत्थान

पर बल से विजयी ना होंगे बनना होगा खुद बलवान

सकल क्षेत्र में शोध करो मिल नये नये हों अनुसंधान

भारतीय साहित्य का  जग में डंका बाजे होय महान

 

औरों का  सम्मान  करें  और  अपने  धर्म पे गर्व करें

धर्म की रक्षा हेतु सकल जन मिलकर अपना पर्व करें

गौरव  गाथा  धर्म  ध्वजा  की  लहरायें सारे जग में

राम कृष्ण दुर्गा शिव की जय कहकर अपना सर्व करें   

 

पवन तिवारी ( भारतीय नव वर्ष के अवसर पर रचित २०७९)

०२/०४/२०२२

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