अपनी
संस्कृति अपनी भाषा पर
यदि गर्व करोगे तुम
राष्ट्र
के खाली स्वर्ण कलश को समृद्धि से भरोगे तुम
विस्मित
मत करना इतिहास को बलिदानों को देना मान
सुनों
युवाओं संग सब मिलकर राष्ट्र का त्रास हरोगे तुम
अपने
बड़ों को यदि पूजोगे अपनी कला का हो सम्मान
अपनी
चिकित्सा पद्धति में है छुपा हुआ खोजो विज्ञान
अपने
गौरव को आगे ला सार्वजनिक होगा यदि गान
मानना
क्या है आँखों देखी सत्य जगत जाएगा जान
खोया
आदर पुनः मिलेगा भारत का होगा
उत्थान
पर
बल से विजयी ना होंगे बनना होगा खुद बलवान
सकल
क्षेत्र में शोध करो मिल नये नये हों अनुसंधान
भारतीय
साहित्य का जग में डंका बाजे होय महान
औरों
का सम्मान करें और
अपने धर्म पे गर्व करें
धर्म
की रक्षा हेतु सकल जन मिलकर अपना पर्व करें
गौरव
गाथा धर्म ध्वजा
की लहरायें सारे जग में
राम
कृष्ण दुर्गा शिव की जय कहकर अपना सर्व करें
पवन
तिवारी ( भारतीय नव वर्ष के अवसर पर रचित २०७९)
०२/०४/२०२२
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें