यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 24 नवंबर 2019

देखा सपन अनोखा है


देखा  सपन   अनोखा है
दाल  में  डूबा   चोखा है

कैसे - कैसे  ख़याल आये
दिल कहे प्रेम कि धोखा है

बाहर - बाहर लम्बी बातें
देखो  तो  दिल खोखा है

दुश्मन पे ही फ़िदा हुआ है
दिल उसका भी अनोखा है

पानी उसका क्या उतरा कि
सारा   पानी    सोखा  है



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत

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