गीत पुराने फिर गाने हैं
वे मौसम हमें फिर लाने हैं
बातों - बातों में हल निकले
आपस में
फिर बतियाने हैं
गम गुबार पिछले
जो छोड़े
फिर सावन के
दिन माने हैं
साफ़ नियत से झुके
हैं सर जो
टूटे उर
फिर जुड़ जाने
हैं
बचपन के दिन आ जायें
गर
लेमन चूस तो
फिर खाने हैं
दिल से दिल ही में
आवाज दो
चाहो जिसे वो
सुन पाने हैं
गीत हमारे उर
के
साथी
रूठे अधर भी मुस्काने
हैं
देश की खातिर मिटने को जो
पवन वो सच्चे दीवाने
हैं
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक –
पवनतिवारी@डाटामेल.भारत
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