बस
उहा - पोह में थोड़े झटके हुए
अपने
ही आप से थोड़े
लिपटे हुए
कहना
चाहूँ मगर डर है इनकार का
बात
इतनी सी है किन्तु अटके हुए
दिल
को कुछ दिन से हूँ हौंसला दे रहा
किन्तु
दिल है कि, दिल पे नहीं ले रहा
ऐसे में
बात बिन बात
कैसे बने
मेरा
दिल मेरा ही
सुनने
से रहा
दोस्तों
ने
कई बार मुझसे कहा
प्यार
कर,प्यार कर, मैंने सुन के सहा
पर
मेरा दिल है सतयुग सा नैतिक बड़ा
कोई
आये मेरा दिल
ले जाये बहा
ऐसा
होगा तभी, होगा होगा तभी
वरना
दिल का बसेगा नहीं घर कभी
कोई
आये मेरे दिल पे डाका करे
दोस्तों
सारे मिल के
दुआ दो अभी
पवन
तिवारी
१९/०६/२०२२