समय
मुझे खंडित करने को, कई बार लपका है
मत
पूछो यह दुर्प्रयास कितना, कैसे, कब का है
यह
समस्त जीवन का केवल एक भाग है समझो
अच्छा
समय कर्म लायेगा, कभी नहीं टपका है
अच्छे
में बंटवारा चाहें, सब कहते सबका है
बुरा
हुआ तो सब ही भागें एक कोई लटका है
लाभ
तलक ही साथ चलें हैं चाहे रक्त के हो संबंध
छोटे
बड़े की बात नहीं है इसमें हर तबका है
अपना
अनुभव बता रहा हूँ, जो खाया झटका है
गैरों
से कम ही बिगड़ा है, अपनों से अटका है
गैरों
से
तो
जैसे तैसे, पार ही
पा
लेंगे
अपनों
से ही छल मिलने का बहुत बड़ा खटका है
जो
भी है इतिहास देख लो खुद के बल चटका है
अपनों
की ही मिली भगत से दुश्मन ने पटका है
इसीलिये
जो भी करना निज मति औ भुजबल से करना
अन्य
पे आश्रित रहने वाला अक्सर ही भटका है
पवन
तिवारी
०१/०६/२०२२
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