यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 30 जून 2022

तुझसे बिछड़ना आधा मरना

तुझसे बिछड़ना आधा मरना

मरते – मरते  ज़िन्दा  रहना

  मिट्टी    तू   भी   माँ  है

थोड़ा  मैं   थोड़ी  तू  लड़ना

 

वृद्ध हुए  माँ  बाप  से  कहना

समझाना उन्हें खुद भी सहना

जीने को थोड़ा अर्थ भी चहिये

थोड़ा   सहना   थोड़ा   जरना

 

तुझमें बहुत  कुछ होके नहीं है

पर  तुझसा  कहीं और नहीं है

तेरी  ख़ुशबू   जग  से   प्यारी

मांयें   हैं   पर   तुझसी  नहीं

 

तू   थोड़ी     सकुचाई   रहती

अपनी ख़ातिर कुछ ना कहती

तू  माँ   से   बढ़कर  महतारी

इसीलिये  उर  रोम  में बसती

 

पवन तिवारी

२६/१०/२०२१  

 

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