तुझसे
बिछड़ना आधा मरना
मरते
– मरते ज़िन्दा रहना
ऐ मिट्टी तू भी माँ है
थोड़ा
मैं थोड़ी तू लड़ना
वृद्ध
हुए माँ बाप से कहना
समझाना
उन्हें खुद भी सहना
जीने
को थोड़ा अर्थ भी चहिये
थोड़ा
सहना थोड़ा जरना
तुझमें
बहुत कुछ होके नहीं है
पर तुझसा कहीं
और नहीं है
तेरी
ख़ुशबू जग से प्यारी
मांयें हैं पर तुझसी नहीं
तू थोड़ी सकुचाई
रहती
अपनी
ख़ातिर कुछ ना कहती
तू माँ से बढ़कर महतारी
इसीलिये
उर रोम में
बसती
पवन
तिवारी
२६/१०/२०२१
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