तुम तंदूरी खाने वाले
और कोफ्ते की सब्जी
चोखे के संग भात
का खाना बोलो तुम क्या जानोगे
माना नगर तुम्हारा
अच्छा सुविधाओं का ढेर लगा
लेकिन अम्मा के चूल्हे
का स्वाद कहाँ से लाओगे
तुम शक्कर पारे वाले हो
कॉफी कहवा पीते हो
लेकिन गुड़ वाली बुनिया का स्वाद कहाँ से लाओगे
जानूँ शहर तुम्हारा समृद्ध लोगों की है
भीड़ बड़ी
मेरे गाँव की पुरूवाई को बोलो क्या तुम जानोगे
कूलर एसी पंखे सारे साधन
के तुम स्वामी हो
लेकिन गाँव के पीपल वाली शुद्ध हवा क्या पाओगे
माना गाँव बड़ा
निर्धन है तुम्हरे वैभव के
आगे
मगर गाँव की अल्हड़ ख़ुशबू नगर में तुम क्या पाओगे
प्रदूषणों से समझौता कर
धन की कुर्सी
पर बैठे
ऐसे में त्तुम गाँव के जैसा स्वास्थ्य भला क्या पाओगे
तुम्हरे पास अगर धन है तो खुशहाली
हमरे संग है
हमें गँवारू कह लो कितना पर कहकर क्या पाओगे
पवन तिवारी
०३/०७/२०२१
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