यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 16 जून 2021

तुम आत्महत्या मत करना

तुम आत्महत्या मत करना!

क्योंकि, मैंने भी आत्महत्या नहीं की!

जब दुनिया ने,

मेरे अपनों ने,

भेजा था मेरे पास

आत्महत्या को,

तो मैंने पूछा था,

मुझे क्यों ले जाना चाहती है अपने साथ?

उसने कहा था;

तुम हार मान गए हो जिंदगी से!

जो जिंदगी के रहते,

जिंदगी नहीं मानते!

उन्हें ले जाती हूं अपने साथ !

तुम्हारे अपनों ने ही तो कहा-

तुम हार गए हो!

मैंने कहा- मैंने तो नहीं कहा!

मैं तुम्हारे साथ

एक शर्त पर चल सकता हूं।

क्या तुम मेरे कुछ प्रश्नों का उत्तर दे सकती हो ?

उत्तर! उसने हंसते हुए कहा- हां, पूछो-

अभी भी तुममें प्रश्न करने का साहस है!

मैंने कहा- क्या तुम्हारे साथ चलने के बाद

मेरे देखे हुए अधूरे सपनों को पूरा करोगी ?

मेरे माता-पिता और मुझ पर

आश्रितों का रखोगी खयाल!

तो मैं चलूंगा ।

वह फिर हंसी और बोली- तुम्हारे सपने

मैं क्यों पूरे करूंगी ?

तुम्हारे आश्रितों का खयाल मैं नहीं रखूंगी ।

यह मेरा काम नहीं,

फिर मैंने हंसते हुए कहा- फिर तुम,

गलत आदमी के पास आई हो!

मैं तुम्हारे साथ नहीं चलूंगा।

"मैं आत्महत्या नहीं करूंगा"

मैं जियूँगा, अपने अधूरे सपनों के लिए!

उन्हें पूरा करूंगा।

जो थोड़े ही सही, मेरे हैं !

उनके लिए लडूंगा और

जिन्होंने तुम्हें भेजा है मुझे हारा हुआ कहकर;

उन्हें कहना हारा हूं, मरा नहीं,

हारा हुआ भी हरा सकता है बस,

हौसला बनाए रखे।

आत्महत्या मेरी बात सुनकर

मुंह बना कर लौट गई और

आज मैं अपने सपनों को पूरा करके

दूसरों के सपने पूरा कर रहा हूं

इसलिए तुम उससे प्रश्न पूछना!लड़ना,

अपने सपनों के बारे में सोचना और आगे बढ़ना

"तुम आत्महत्या मत करना"

 

पवन तिवारी

सम्वाद – 7718080978

 

26/07/2020

 

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