देके मुझे धोखा तुम
धोखा ही पाओगे
धोखे को लेकर बताओ
कहाँ जाओगे
जिसके लिए धोखा मुझे
दे रही हो
सच सच बताओ क्या तुम
सही हो
ज़िस्म चाहने वाले
क्या तुमको चाहेंगे
रूह से ना मतलब है
ज़िस्म तक ही थाहेंगे
सोचो जो पहले थे
क्या तुम वही हो
प्यार छोड़ जिस्म के
फरेब में बही हो
जानता हूँ देर से ही
मगर पछताओगे
करके बरबाद मुझे
मेरे पास आओगे
जमाने की नज़रों से
रुसवा हो जाओगे
जिस्म वाले यारों से
अपमान खाओगे
दर्द के बदले में
तुम दर्द ही कमाओगे
दगा के बदले फ़कत
दागा का धन पाओगे
इस क़दर आँख मेरी
जितना बरसाओगे
खुद के आँसुओं में
सनम तुम भी डूब जाओगे
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
२५/०७/२०२०
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