गीतों को झुठलाने
वालों गीतों से ही धाम मिलेगा
पीड़ा के पाँवों को
मेरे गीतों से आराम मिलेगा
लौट के एक दिन आओगे तुम
धन की खातिर त्यागने वालों
दुःख की सर्दी जब
घेरेगी इन गीतों से घाम मिलेगा
धन पाकर भी चिंता
होगी मन का का कोई काम न होगा
सारा वैभव फीका होगा
समय पर कोई काम न होगा
तब स्मरण मेरा आयेगा
स्मृति का उपवन छायेगा
गीत लिए मैं खड़ा
मिलूँगा और तो कोई नाम न होगा
जिस तन से था प्रेम
किया जब उससे ही छल पाओगे
हँसने वाले घर से ही
जब रोते – रोते जाओगे
बहते आँसू सब
देखेंगे कोई भी ना पोंछेगा
ऐसे में ये गीत
तुम्हें और तुम गीतों को गाओगे
छल से हुए पराजित वीरों
को मेरे गीत समर्पित होंगे
सीमा पर जो लिए
तिरंगा गीत मेरे उन्हें अर्पित होंगे
एक दिन ये जग ढूंढेगा
इस आवारा फक्कड़ को भी
मेरे गीतों से जन के
दुःख गा गाकर के तर्पित होंगे
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
२९/०७/२०२०
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