यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 15 नवंबर 2022

अपने लोग पराये होते



अपने लोग पराये होते

और पराये अपने

जीवन में तो देख ही रहे

नींद में भी ये सपने

 

सच से पीछा छुड़ा रहे हैं

झूठ लगे हैं जपने

सर्दी के मौसम में भी कुछ

लोग लगे हैं तपने

 

जिन्हें कहे हैं अपना उनको

देख लगे हैं कंपने

जान बचाकर यूँ भागे कि

लगे जोर से ह्न्फने

 

छोटे-छोटे व्यवहारों में

जीवन लगा है खपने

घर की छोटी कलह लगी है

अखबारों में छपने

 

पवन तिवारी

१५/११/२०२२

 

 

7 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय,
    कृपया स्पेम चेक कीजिएगा और.मेरी लिखी आमंत्रण प्रतिक्रिया पब्लिश कर दीजिएगा।
    कल.आपकी रचना लिंक की गयी है पाँच लिकं ब्लॉग पर।

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  2. अखबारों में छपना भी आसान कहाँ

    सुंदर रचना

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  3. सब बदल कर भयावह शक्ल इख्तियार कर रहा है।सार्थक रचना प्रिय पवन जी।

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