धीमे - धीमे
धीरे - धीरे बादल
छँटते धीरे - धीरे छाते हैं
धीरे-धीरे शाम है
ढलती प्रात भी धीरे आते हैं
धीरे होना भी है
अच्छा धीरे एक सहजता है
धीरे-धीरे चलकर कछुए
मंजिल को पा जाते हैं
धीमा होना बुरा नहीं
है धैर्य भी है धीमा होना
धीमी आंच पे भोजन
पकना कहलाता अच्छा होना
धीमे स्वर में गीत
को गाना रूह तलक छा जाता है
धीमें स्वर में जो
भी बोले कहलाता है गुण होना
धीरे – धीरे प्यार
का बढ़ना अच्छा होता है
धीमे धीमे आग का
जलना अच्छा होता है
धीमे का अपना
महत्त्व है धीमे को मत कम समझो
धीमे - धीमे ख्याति
का बढ़ना अच्छा होता है
धीमा भी जीवन का
हिस्सा धीमा कितना कुछ जीवन में
कितनी बातें चलती
रहती धीमे धीमे ही मन में
जग को थोड़ा समझ हैं
पाते उम्र जो चलती है धीमे
धीमे - धीमे आओ
टहलें जीवन के सुंदर वन में
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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